दोस्तों, आज हम को बताने वाले हिंदी व्याकरण के स्वर के बारे में जो कि व्याकरण के माध्यम से बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसे स्वर किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं। आज हम स्वर को बहुत ही सरल भाषा में समझेंगे तो आइए जानते हैं कि स्वर किसे कहते हैं?
स्वर किसे कहते हैं?
वह वर्ण जिन्हें स्वतंत्र रूप से बोला जाता है यानि जिन वर्णों बिना अन्य किसी वर्ण की सहायता से बोला जाता हैं। उन्हें स्वर्ग कहते हैं। सामान्य रूप से स्वरों की संख्या 13 होती है। लेकिन उच्चारण की दृष्टि के आधार पर 10 स्वर होते हैं। तथा एक अर्ध स्वर और दो अनु स्वर होते हैं। जिसमें अनुस्वर को स्वर की श्रेणी में नहीं रखा जाता बल्कि अर्ध स्वर को स्वरों के साथ ही गिना जाता है।
स्वर– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ।
अर्धस्वर– ऋ।
अनुस्वर– अं, अ:
वैसे स्वरों की संख्या 11 होती है क्योंकि अनुस्वर को स्वर्ग के साथ नहीं गिना जाता है। तो दोस्तों आइए जानते हैं कि स्वर कितने प्रकार के होते हैं।
स्वरों के प्रकार-
- हस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
हस्वस्वर :-
हस्व स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जो बहुत सबसे कम समय में बोले जाते हैं। यानि एक मात्रा के बराबर। जैसे:- अ, इ तथा उ।
दीर्घस्वर:-
दीर्घ स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में अधिक समय लगता है। यानि दो मात्राओं के बराबर। जैसे:- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ।
प्लुतस्वर:-
प्लुत स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है यानि तीन मात्राओं के बराबर। जैसे:- ओउम् तथा राsम्।
जीभ के प्रयोग के आधार पर स्वरों के प्रकार
अग्र स्वर, मध्य स्वर तथा पश्च स्वर
अग्रस्वर:- अगर स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में जीभ के अग्र भाग का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे:- इ, ई, ए तथा ऐ आदि।
मध्यस्वर:- मध्य स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिन के उच्चारण में जीभ के मध्य भाग का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे:- ओ।
पश्चस्वर:- पश्च स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में जीभ के पश्च भाग का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे:- आ, उ, ऊ, ओ, ओ तथा ऑ आदि।
मुख द्वार खुलने के आधार पर स्वरों के प्रकार
विवृत, संवृत तथा अर्ध- संवृत।
विवृत:: विवृत स्वर उन स्वरों को कहा जाता हैं जिनके उच्चरण में मुख द्वार पूरा खुलता हैं। जैसे:- आ
अर्ध– संवृत:: अर्ध- संवृत उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में मुख द्वार आधा बंद रहता है। जैसे:- ए तथा ओ आदि।
संवृत:: संवृत स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण मुुख द्वार बंद रहता है जैसे:- इ, ई, उ तथा ऊ आदि।
होंठ के आधार पर स्वरों के प्रकार
अवृतमुखी:: अवृतमुखी स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में होंठ गोलाकार नहीं होते जैसे:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ आदि।
वृतमुखी:: वृतमुखी स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में होंठ वृतमुखी या गोलाकार हों जाते है जैसेे:- उ, ऊ, ओ, औ आदि।
हवा के साथ नाक व मुंह से निकलने के आधार पर स्वरों के प्रकार
निरनुनासिक स्वर तथा अनुनासिक स्वर
निरनुनासिकस्वर:: निरनुनासिक स्वर उन स्वरों को कहा जाता हैं जिनके उच्चारण से केवल मुंह से हवा निकलती है। जैसे:- अ, आ, इ आदि।
अनुनासिकस्वर:: अनुनासिक स्वरों को उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में मुंह के साथ-साथ नाक से भी हवा निकलती है जैसे:- अं, आँ, इँ आदि।
अन्तिम शब्द
दोस्तों, उम्मीद हैं आपको हमारी यह जनकारी अच्छी लगी होगी इस लेख में आपको हिंदी व्याकरण के भाग “स्वर” को बहुत ही सरल भाषा में समझाने की पूरी कोशिश की गई हैं की स्वर किसे कहते है। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले। यदि आप इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न या सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं।