संस्कृत की लिपि क्या है | Sanskrit Ki Lipi Kya Hai

Rahul Yadav

यह तो आप जानते ही हैं कि भारत की सबसे प्राचीनतम भाषा संस्कृत मानी जाती है। भारत में लिखे थे पूरा लेख संस्कृत भाषा में ही देखने को मिलते हैं भारत में बोली जाने वाली अधिकतर भाषाऐं संस्कृत भाषा से ही बनी है। आज के इस लेख में हम संस्कृत भाषा के बारे में जानेंगे संस्कृत भाषा के लिए क्या है? और संस्कृत भाषा के कौन-कौन से ग्रंथ है साथ ही हम संस्कृत भाषा की विशेषताओं के बारे में भी जानेंगे।

संस्कृत भाषा की लिपि क्या है?

संस्कृत भाषा की कोई निश्चित लिपि नहीं है अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग लिपियो के अनुसार लिखा जाता है। परंतु प्राचीन काल से ही संस्कृत भाषा की लिपि ब्राह्मी लेकर को माना गया है ब्राह्मी लिपि सभी लिपियों में सबसे पुरानी लिपि है।

उत्तर और दक्षिण भारत में उपयोग में लाई जाने वाली सभी लिपियों का निर्माण पर ब्राह्मी लिपि से ही हुआ है। ब्राह्मी लिपि को धम्म लिपि के नाम से भी जाना जाता है। ब्राह्मी लिपि को धम्म लिपि सम्राट अशोक द्वारा कहा गया था।

प्रत्येक राज्य मैं संस्कृत भाषा की लिपि अलग-अलग है यदि भारत के उत्तरी क्षेत्र के राज्यों की बात की जाए तो वहां संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी मानी जाती है। जबकि दक्षिण भारत के राज्यो में संस्कृत की अन्य लीपियां है जैसे कर्नाटक में कन्नड़ लिपि,कथा केरल में मलयालम लिपि, आंध्र प्रदेश में तेलुगू लिपि, दक्षिण क्षेत्र में द्रविड़ लिपि में संस्कृत भाषा लिखी जाती है।

पूरे भारत में एक ही संस्कृत भाषा को लिखने के लिए अलग-अलग लिपियों का इस्तेमाल किया जाता है यह भाषा व्याकरण पर आधारित है।

जैसा कि आपने जाना कि संस्कृत भाषा को हर लिपि में लिखा जा सकता है लेकिन वर्तमान समय में संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी लिपि को माना जाता है।

आइए यह जानते हैं कि देवनागरी लिपि को ही संस्कृत भाषा की लिपि क्यों माना जाता है 

संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी लिपि को ही क्यों माना जाता है?

भारत में प्राचीन समय से इस्तेमाल की जाने वाली संस्कृत भाषा की कई लिपियाँहै संस्कृत भाषा को भारत के अलग-अलग राज्यों के आधार पर बोली जाने वाली भाषा की नीतियों के अनुसार लिखा जा सकता है लेकिन देवनागरी लिपि को ही संस्कृत भाषा की लिपि माना जाता है। क्योंकि संस्कृत भाषा में प्रत्येक चिन्ह के लिए एक ही ध्वनि होती है। देवनागरी लिपि में भी हर एक चिन्ह के लिए केवल एक ही ध्वनि होती है।

देवनागरी लिपि को बाईं से दाईं और लिखा जाता है। देवनागरी लिपि में कुल 42 वर्ण होते हैं जिसमें 13 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं।

देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से ही माना जाता है देवनागरी एक ऐसी लिपि है जिसमें बहुत सारी भाषाएं लिखी जाती है जैसे – राजस्थानी, सिंधी, हिंदी, संस्कृत आदि।

संस्कृत भाषा का इतिहास

भारत में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में से संस्कृत भाषा सबसे पुरानी भाषा मानी जाती है। संस्कृत भाषा में लिखा गया सबसे पुराना ग्रंथ ऋग्वेद है। जिसे ढाई हजार इसा पूर्व पहले लिखा गया था।

हिंदू जैन और बौद्ध धर्म के सभी प्राचीन ग्रंथ भी संस्कृत भाषा में ही लिखे गएं हैँ। संस्कृत भाषा को सुभारती और देववाणी भी कहा जाता है। वर्तमान समय में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा भी है। संस्कृत भाषा भारत के अलावा नेपाल में भी बोली जाती है।

संस्कृत भाषा की विशेषताएं

  • संस्कृत भाषा का व्याकरण बहुत ही अधिक स्पष्ट है। संस्कृत भाषा को कृत्रिम बुद्धि के लिए विशेष माना जाता है।
  • विश्व में संस्कृत दिवस श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। वर्ष 1969 से संस्कृत दिवस मनाया जाता है। संस्कृत को एक विकसित भाषा बनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने 1969 में श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस मनाए जाने की घोषणा की।
  • संस्कृत की व्याकरण को वागीश शास्त्री द्वारा वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान किया गया है।
  • विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक मानी जाने वाली वेद की भाषा भी संस्कृत ही है।
  • संस्कृत को देव भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत स्वयं विकसित भाषा नहीं है बल्कि यह संस्कारित भाषा है इसलिए इसे संस्कृत कहा जाता है।
  • विश्व की सभी भाषाओं मैं एक शब्द का एक ही रूप होता है या कुछ और रूपी होते हैं लेकिन संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 27 रूप होते हैं।
  • सभी भाषाओं में एकवचन और बहुवचन होते हैं जबकि संस्कृत भाषा में द्विवचन भी होता है।

संस्कृत भाषा का अन्य भाषाओं पर प्रभाव

मूल रूप से संस्कृत भाषा के शब्द सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं में शामिल हैँ। भारत के दक्षिण राज्यों में बोली जाने वाली भाषाएं मलयालम, कन्नड़ और तेलुगु, यह भाषाएँ संस्कृत भाषा से बहुत प्रभावित हैं।

तमिल भाषा में इस्तेमाल होने वाले हजारों शब्द संस्कृत भाषा के हैं और मध्य काल में संस्कृत का तमिल भाषा का पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

भारत के पड़ोसी देशों में बोली जाने वाली भाषाएं जैसे नेपाली, सिंहली, म्यांमार भाषा और थाई भाषा आदि सभी भाषाऐं संस्कृत से प्रभावित है।

चीन में बोली जाने वाली चीनी भाषा में भी संस्कृत के हजारों शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं जिसका कारण भारत से चीन तक बौद्ध धर्म का विकास। बौद्ध धर्म की सभी पुराने ग्रंथ जो की संस्कृत भाषा में ही लिखे गए थे जिनका चीनी भाषा में अनुवाद किया गया जिस कारण चीनी भाषा में अनेकों शब्द संस्कृत के ही इस्तेमाल किए जाते हैं।

संस्कृत भाषा का विश्व की कई भाषाओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है  भारत में बोली जाने वाली कई भाषाएं संस्कृत भाषा से ही निकली हैँ। इसलिए संस्कृत भाषा का भारत में सबसे अधिक महत्व क्योंकि यह हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों की भाषा भी मानी जाते है।

निष्कर्ष:-

आज के इस लेख “संस्कृत भाषा की लिपि क्या है” मैं आपने जाना की संस्कृत भाषा की कौन-कौन सी लिपियाँ हैं। साथ ही संस्कृत भाषा की विशेषताएं तथा संस्कृत से जुड़े कुछ अन्य तथ्य भी बताए गए हैं। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी यदि आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। यदि इस लेख से संबंधित आप किसी प्रकार का कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं।  

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