पंजाबी भाषा भारत के पंजाब राज्य में बोली जाती है वर्तमान समय में इस भाषाओं को बड़ी संख्या में लोग पसंद कर रहे हैं। तथा यह भाषा धीरे-धीरे अन्य राज्यों में भी अपने पैर पसार रही है आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि पंजाबी भाषा की लिपि क्या है? तथा पंजाबी भाषा की उत्पत्ति कहां से हुई? साथ ही आप पंजाबी भाषा के इतिहास तथा उसके विकास से जुड़ी बातों को भी जानेंगे। आइए सबसे पहले यह जानते हैं कि पंजाबी भाषा क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई।
पंजाबी भाषा क्या है उसकी शुरुआत कैसे हुई
पंजाबी भाषा हिंदी – आर्यन भाषा यह भाषा पंजाब क्षेत्र के निवासियों तथा प्रवासियों द्वारा बोली जाती है। इस भाषा को बोलने वाले मुसलमान, सिख और हिंदू हैँ। 1998 की एक गणना के अनुसार पाकिस्तान में पंजाबी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या लगभग 1-13 करोड़ है इसके आधार पर इस भाषा को विश्व की 11 सबसे व्यापक भाषा माना गया। विश्व में कुल पंजाबी भाषा बोलने वालों की संख्या 12.9 करोड़ है।
पंजाबी भाषा का स्वरूप माझी बोली पर आधारित है माझी भोली ऐतिहासिक माझा क्षेत्र की भाषा है। यह भाषा पंजाब की आधुनिक भारतीय आर्य भाषा है। पंजाबी भाषा की दो उप भाषाएं हैं पूर्वी पंजाबी तथा पश्चिमी पंजाबी जिन्हें “लहँब्रा” कहा जाता है। पाकिस्तान का निर्माण हो जाने की वजह से इन दोनों भाषाओं का विकास अलग-अलग दिशाओं में हो रहा है।
पंजाबी भाषा की एक और उपभाषा है जिसे “डोगरी” कहा जाता है। जिसे जम्मू कश्मीर के दक्षिण पूर्वी प्रदेश और कांगड़ा के आसपास के क्षेत्र में बोला जाता है।
पंजाब शब्द फारसी भाषा के दो शब्द “पंज” और “आब” से मिलकर बना है पंज का अर्थ होता है “पांच” और आब का मतलब होता है “पानी”। इस क्षेत्र में 5 नदियां बहती हैं जिसकी वजह से इस क्षेत्र का नाम पंजाब पड़ गया तथा यहां बोली जाने वाली भाषा को पंजाबी नाम दिया गया। पंजाबी शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1670 ईस्वी में हाफिज बरखुदार ने किया जो कि एक कवि थे जबकि इस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम सप्तसिंधु है।
बीसवीं सदी में पंजाबी भाषा में कुछ परिवर्तन किए गए जिसमें पंजाबी भाषा में कुछ फारसी और अंग्रेजी शब्दावली को भी शामिल किया गया तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद हिंदी को राजभाषा बनाया गया इसके बाद पंजाबी भाषा में कुछ संस्कृत के शब्दों को भी शामिल किया गया।
पंजाब राज्य में पंजाबी भाषा का इस्तेमाल स्कूल कॉलेजों कारखानों आदि में किया जाता है। पंजाबी भाषा पाकिस्तान में सबसे बड़ी भाषा है यानी यह सबसे अधिक बोले जाने वाले लोगों की भाषा है।
पंजाबी भाषा की लिपि क्या है
यह तो सभी जानते हैं कि पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी को माना जाता है। भारत में पंजाबी भाषा को लिखने के लिए गुरुमुखी लिपि का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में पंजाबी भाषा को लिखने के लिए शाह मुखी लिपि का इस्तेमाल किया जाता है।
साथ ही कभी-कभी पंजाबी भाषा को लिखने के लिए रोमन लिपि और देवनागरी लिपि का भी इस्तेमाल किया जाता रहा है। पंजाबी भाषा की शुरुआत भारत के पंजाब क्षेत्र से हुई।
आइए जानते हैं कि पंजाबी भाषा की दो लिपियां गुरुमुखी और शाहमुखी लिपियों के बारे में।
गुरुमुखी का अर्थ क्या है
भारत में पंजाबी भाषा किस लिपि में लिखी जाती है उसे गुरुमुखी कहते है। गुरुमुखी शब्द का अर्थ होता है “गुरु के मुख से निकली हुई”। यानी गुरु की वाणी से निकली हुई।
गुरु की वाणी शब्द से ही इस लिपि का नाम गुरुमुखी रखा गया ऐसा माना जाता है कि गुरुमुखी लिपि के द्वारा ही पंजाब की भाषा पंजाबी का निर्माण हुआ है। सर्वप्रथम गुरुओं के द्वारा ही इस लिपि की शुरुआत की गई फिर यह पंजाबी भाषा की लिपि बन गई इसकी शुरुआत सिखों के गुरु, गुरु अंगद देव द्वारा की गई थी।
गुरुमुखी लिपि में कुल 35 वर्ड होते हैं जिसमें 32 व्यंजन और 3 स्वर हैँ। देवनागरी मैं लिखे जाने वाली वर्णमाला “व” अक्षर तक का क्रम गुरुमुखी लिपि के जैसा ही होता है इसके अलावा अन्य स्वर बनाने के लिए उन्हें 3 स्वरों में मात्राएं जोड़कर बनाया जाता है। गुरुमुखी लिपि मैं अनेकों संयुक्त ध्वनियां होती हैं जबकि इसकी वर्णमाला में संयुक्त अक्षर नहीं होते।
शाहमुखी लिपि क्या है
शाहमुखी लिपि फारसी – अरबी लिपि है जिसे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत मुसलमानों द्वारा पंजाबी भाषा लिखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जिस तरह से भारत में पंजाबी भाषा को लिखने के लिए गुरुमुखी लिपि का इस्तेमाल किया जाता है उसी प्रकार पाकिस्तान में पंजाबी भाषा को लिखने के लिए शाहमुखी लिपि का इस्तेमाल किया जाता है।
शाहमुखी लिपि और दाएं से बाएं और लिखा जाता है और यह नशा लिख शैली में लिखी जाती है। शाहमुखी लिपि का इस्तेमाल भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य की पोतोहारी बोली को लिखने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
पंजाबी भाषा का कवि किसे माना जाता है
पंजाबी भाषा के ग्रंथ 16 वी शताब्दी के बाद ही लिखे गए इसलिए गुरु नानक जी को पंजाबी भाषा का आदि कवि माना जाता है क्योंकि इसमें “आदि ग्रंथ” पंजाबी साहित्य का आदि ग्रंथ है। इस ग्रंथ में 7 गुरुओं और 16 भक्तों की वाणी भी शामिल है आदि ग्रंथ में कुल 3384 पद हैँ। जिनमें से लगभग 350 से 450 पद पंजाबी भाषा में ही लिखे गए हैं।
गुरु नानक जी की सबसे प्रसिद्ध रचना “जपुजी” है जिसे पंजाबी भाषा में ही लिखा गया है। गुरु रामदास वाला भी बहुत सारी कविताएं पंजाबी भाषा में लिखी गई है।
गुरु गोविंद सिंह का 10 वां ग्रंथ “चंडी दी वार” को भी पंजाबी भाषा में ही लिखा गया है।
निष्कर्ष:-
आज के इस लेख “पंजाबी भाषा की लिपि क्या है” में आपने जाना कि पंजाबी भाषा को किन दो लिपियो में लिखा जाता है तथा उनके क्या अर्थ है? पंजाबी भाषा की शुरुआत कैसे हुई? और इसे किन-किन क्षेत्रों में बोला जाता है? यदि आप इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।