आज के इस लेख में हम जानेंगे कि लिंग किसे कहते हैं, लिंग के कितने भेद हैं और साथी हम यह भी जानेंगे कि लिंग निर्धारण के नियम कौन-कौन से हैं। दोस्तों जैसा कि आप सब जानते हैं, कि हिंदी व्याकरण में लिंग बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। जिस तरह से संज्ञा या सर्वनाम का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। उसी तरह यदि लिंग का ज्ञान ना हो तो हिंदी समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता है। लिंग को संज्ञा का हिस्सा भी माना जाता है। लेकिन इस बारे में बहुत कम ही लोग ऐसे हैं जो विस्तार से जानते हैं, तो आइए आज हम लिंग के बारे में विस्तार से जानते हैं।
लिंग किसे कहते हैं
किसी भी शब्द का बहुत महत्वपूर्ण होता है। जिससे इस बात का पता चलता है कि हम जिस वस्तु के बारे में बात कर रहे हैं वह मानव जाति का है या स्त्री जाति का सरल भाषा में कहें तो जिससे स्त्री व पुरुष जाति के बारे में पता चले उसे लिंग कहते हैं । लिंग के जरिए ही विशेषण संज्ञा सर्वनाम आदि जैसे शब्दों के जाति का बोध होता है।
लिंग के भेद
लिंग के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं –
स्त्रीलिंग
पुलिंग
स्त्रीलिंग
बोलचाल की भाषा में जब किसी शब्द से इस बात का ज्ञात हो कि वह वस्तु स्त्री जाति का है तो उसे स्त्रीलिंग कहते हैं जैसे की नदी कविता कहानी आदि।
पुलिंग
बोलचाल की भाषा में जब किसी शब्द से इस बात का ज्ञात हो कि वह वस्तु पुरुष जाति का है, तो उसे पुलिंग कहते हैं। जैसे की राजा, सूरज, बुढ़ापा आदि।
लिंग निर्धारण के नियम
लिंग निर्धारण के नियम का यह मतलब है, कि इस बात का पता कैसे लगाएं, कि कोई वस्तु पुलिंग है या स्त्रीलिंग। वैसे हिंदी व्याकरण में लिंग निर्धारण के कुल 3 नियम है, जिसके बारे में अभी हम बात करने वाले हैं।
प्रयोग के आधार पर लिंग निर्धारण
इसके अंतर्गत संज्ञा शब्द के साथ कारक चिन्ह प्रयुक्त विशेषण या क्रिया के आधार पर जो शब्द बनाए जाते हैं । उसे प्रयोग के आधार पर लिंग कहा जाता है जैसे कि
राम की पुस्तक
राम का तकिया
ऊपर दिए गए वाक्य में पुस्तक के आगे किस शब्द का प्रयोग किया गया है इसका मतलब किया स्त्रीलिंग शब्द है लेकिन दूसरे वाक्य में तकिया से पहले का शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका मतलब यह शब्द पुलिंग है।
रूप के आधार पर लिंग निर्धारण
रूप के आधार पर लिंग निर्धारण का मतलब यह हुआ कि शब्दार्थ में कौन सा स्वर लगा है यानी कि शब्द में किस तरह के प्रत्यय का प्रयोग किया गया है इसी को रूप के आधार पर लिंग निर्धारण कहा जाता है आइए इसे उदाहरण स्वरूप समझते हैं।
अकारान्त यह शब्द प्रायः पुलिंग होते हैं जैसे कि समुद्र क्रोध आदि इसके अलावा जिन शब्दों के अंत में पन आव, आवा आदि यह शब्द भी हमेशा पुलिंग होते हैं जैसे कि बचपन पागलखाना इत्यादि
आकारान्त शब्द पराया स्त्रीलिंग होते हैं जैसे ममता लता आदि इसके बाद आते हैं ईकारान्त, इकारान्त नामक शब्द जो हमेशा स्त्रीलिंग होते हैं जैसे तिथि हानि इत्यादि इसके अलावा जिन शब्दों के अंत में आवट आहट इमा ता आई इत्यादि होते हैं वे प्राय: स्त्रीलिंग होते हैं।
अर्थ के आधार पर लिंग निर्धारण
अर्थ की दृष्टि से देखा जाए तो कई ऐसे शब्द होते हैं जिसका अर्थ समान होता है और लिंग की दृष्टि से दिन जैसे कि
नेता अभिनेता लेखक विद्वान कवि इत्यादि शब्द पुलिंग है लेकिन यदि इन शब्दों को स्त्रीलिंग में बदल दिया जाए तो इसे कुछ इस तरह लिखेंगे जैसे कि नेत्री अभिनेत्री लेखिका विदुषी कवित्री इत्यादि।
अंतिम शब्द
दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आज का यह लेख लिंग किसे कहते हैं लिंग के कितने भेद हैं । आपको अच्छी तरह से समझ आ गया होगा लेकिन यदि इस लेख को पढ़ने के बाद भी आप इससे संबंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं या कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट सेक्शन में कमेंट करके हमें बता सकते हैं इसके अलावा आपको यह लेख पसंद आया है इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को हिंदी व्याकरण का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक लिंग के बारे में ज्ञान प्राप्त हो सके।